Sagar Se Nadi Mil Rahi Mp3 Download
Album: Sindurdan (Gaurav Jha)
Artist: Khushbu Jain
Composed By: Munna Dubey
Lyricist By: Surendar Mishra
Duration: 4:06 Minutes
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Sagar Se Nadi Mil Rahi Lyrics
घूंघट में मन की कली खिल रही है
सागर स�
....घूंघट में मन की कली खिल रही है
सागर से अपने नदी मिल रही है
घूंघट में मन की कली खिल रही है
सागर से अपने नदी मिल रही है
लाज की गांठे खुलने लगी
मैं अपने पिया से जुड़ने लगी
हां गंध तन की मन को मेरे छल रही है
सागर से अपने नदी मिल रही है
सागर से अपने नदी मिल रही है
सा रे गा मा ग स प ध ध
ह्म्म हो ओsss
सा रे गा मा ग स प ध ध
ह्म्म हो ओsss
कंगन संभालूं या आँचल संभालूं
कि बाली में उलझी लटों को निकालूं
कंगन संभालूं या आँचल संभालूं
कि बाली में उलझी लटों को निकालूं
पायल निगोड़ी भी बजने लगी
मन की बतिया पिया जी से कहने लगी
होले होले दिया की ज्वाला जल रही है
सागर से अपने नदी मिल रही है
सागर से अपने नदी मिल रही है
पिंजरा खुला मन का पंछी उड़ा है
सौ जन्मों का सुख मुझको मिला है
हो ओsss
हो पिंजरा खुला मन का पंछी उड़ा है
सौ जन्मों का सुख मुझको मिला है
बुझती आँखों में लाखों दिए जल गए
अब उजालों में है मेरे सपने नए
रात थम सी गई क्यूँ नहीं ढल रही है
सागर से अपने नदी मिल रही है
सागर से अपने नदी मिल रही है